Pension Bonus: बुढ़ापा, अकेलापन और वित्तीय कठिनाइयां – ये तीनों चीजें पेंशनभोगियों के जीवन का हिस्सा बन गई हैं। उन्होंने देश की सेवा में अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया और जब उन्हें सरकार से मदद की जरूरत है, तो वहां से केवल उपेक्षा और अनदेखी मिलती है। यही स्थिति देश के सबसे बड़े पेंशनभोगी संगठन, भारत पेंशनभोगी समाज के साथ भी है।
बोनस की लड़ाई
भारत पेंशनभोगी समाज ने हाल ही में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) के पात्र पेंशनभोगियों एवं केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के बोनस से जुड़े मुद्दे पर एक स्मरण पत्र वित्त मंत्रालय को सौंपा है। समाज का कहना है कि पेंशनभोगियों ने सार्वजनिक सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए उनके हक को नहीं मारा जा सकता।
वित्तीय कठिनाई और उपेक्षा
समाज के अनुसार, श्रम और रोजगार मंत्रालय एवं वित्त मंत्रालय से निर्देशों के अभाव और उदासीनता के कारण ESIC के लाखों पेंशनभोगियों को 2021-22 के लिए बोनस का भुगतान नहीं किया गया। इस देरी के कारण लाभार्थियों को वित्तीय कठिनाइयों से गुजरना पड़ रहा है, जबकि अधिकांश पेंशनभोगी अपनी आजीविका के लिए बोनस पर निर्भर हैं।
तुरंत भुगतान की मांग
इसलिए, पेंशनभोगियों को होने वाली वित्तीय कठिनाइयों को देखते हुए, भारत पेंशनभोगी समाज इस मामले के शीघ्र निपटान के लिए वित्त मंत्रालय के हस्तक्षेप की मांग कर रहा है। समाज का कहना है कि जिन्होंने अपना जीवन सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित कर दिया है, उन पेंशनभोगियों को समय पर बोनस का भुगतान किया जाना चाहिए ताकि इन सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर वित्तीय तनाव को कम किया जा सके।
केंद्रीय कर्मचारियों को मिलता है बोनस
भारत पेंशनभोगी समाज ने यह भी बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों को हर साल दिवाली के मौके पर बोनस का भुगतान किया जाता है और साथ ही उन्हें प्रति वर्ष इंक्रीमेंट भी मिलता है। लेकिन पेंशनभोगियों को कुछ भी नहीं मिलता। इसलिए पेंशनभोगियों की गरिमा को कायम रखने के लिए उन्हें भी बोनस का भुगतान होना चाहिए।
सांसद ने भी उठाई आवाज
इस मुद्दे पर सांसद रामेश्वर तेली ने भी वित्त मंत्रालय से मांग की थी कि पेंशनभोगियों को भी बोनस का भुगतान होना चाहिए। अगर केंद्रीय कर्मचारियों के समान पूरा बोनस नहीं दे सकते तो आधा बोनस देना ही चाहिए।