Pension News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसके तहत पेंशन को सरकार की कृपा या आशीर्वाद नहीं माना गया है, बल्कि इसे पेंशनभोगियों का संवैधानिक अधिकार करार दिया गया है। इस फैसले से न केवल इलाहाबाद हाईकोर्ट की सोच को समझा जा सकता है, बल्कि देश के अन्य उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गए समान फैसलों की भी झलक मिलती है।
एक मामले की पृष्ठभूमि
इस फैसले की पृष्ठभूमि में एक ऐसा मामला था, जिसमें एक महिला याची छाया के पति नगर निगम में सफाईकर्मी के रूप में कार्यरत थे। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद, उन्हें रिटायरमेंट लाभ और पेंशन का भुगतान नहीं किया गया था। लंबे समय तक इंतजार करने के बाद, जब पता चला कि नगर निगम ने जानबूझकर भुगतान नहीं किया है, तो छाया ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
पेंशन का अधिकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले को सुनने के बाद नगर निगम को फटकार लगाई और कहा कि कर्मचारियों को पेंशन देना सरकार का बाध्यकारी कर्तव्य है, न कि उनकी लंबी सेवा का पुरस्कार। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कर्मचारी अपने अधिकार के तौर पर पेंशन का दावा कर सकता है, क्योंकि यह उनका मौलिक अधिकार है।
अन्य उच्च न्यायालयों के फैसले
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले से पहले, देश के कई अन्य उच्च न्यायालयों ने भी इसी तरह के फैसले दिए हैं। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पेंशन अदायगी में देरी होने पर विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों से ब्याज की वसूली करके पेंशनभोगी को दिए जाने की वकालत की है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी कहा है कि पेंशन एक मूलभूत अधिकार है और रिटायर कर्मचारियों को इसके भुगतान से वंचित नहीं किया जा सकता।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के अनुसार, कर्मचारी की ग्रेच्युटी और रिटायरमेंट लाभ उसकी संपत्ति और संवैधानिक अधिकार हैं। इसके भुगतान में देरी होने पर वर्तमान बाजार दर के साथ ब्याज के साथ कर्मचारी/पेंशनभोगी को भुगतान किया जाना चाहिए।
फैसलों का महत्व
इन फैसलों से यह स्पष्ट हो जाता है कि जब कोई कर्मचारी सेवा से सेवानिवृत्त होता है, तो उसे पेंशन और रिटायरमेंट लाभ के रूप में अपनी सेवा का फल मिलना चाहिए। इसको देने से इनकार नहीं किया जा सकता, और किसी भी विकट परिस्थिति में पेंशन को रोका नहीं जाना चाहिए।
नई पेंशन योजना की समस्या
1 जनवरी 2004 के बाद भर्ती किए गए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना की जगह नई पेंशन योजना के तहत मामूली पेंशन मिलती है, जिससे उनका गुजारा भी नहीं हो पाता है। इन फैसलों से यह स्पष्ट होता है कि पेंशन सभी का अधिकार है, और 2004 के बाद भर्ती किए गए कर्मचारियों को भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए।
समग्र रूप से, ये फैसले कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के हितों की रक्षा करते हैं और यह स्पष्ट करते हैं कि पेंशन एक अधिकार है, न कि सरकार की कृपा। इससे न केवल कर्मचारियों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि यह सरकारों को भी अपने दायित्वों को निभाने के लिए प्रेरित करता है।