Gold Rates: विगत पांच कारोबारी दिनों में सोने और चांदी के भावों में भारी गिरावट देखी गई है। यह गिरावट मुख्य रूप से लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद आई स्थिरता और विदेशी निवेशकों की प्रतिक्रिया से जुड़ी है। आइए इस घटना पर एक विस्तृत नज़र डालते हैं।
बड़ी गिरावट आई चांदी के भाव में
(Decline in Silver Prices)
पिछले पांच कारोबारी दिनों में एमसीएक्स (MCX) पर चांदी के भाव में करीब 6,950 रुपये प्रति किलो की भारी गिरावट देखी गई। 29 मई को चांदी का भाव 96,162 रुपये प्रति किलो था, जो घटकर 5 जून को 89,215 रुपये प्रति किलो हो गया। इस तरह चांदी के दाम में लगभग 7% की कमी आई है।
सोना भी हुआ सस्ता
(Gold Also Became Cheaper)
सोने के भाव भी इस अवधि में गिरावट का शिकार रहे। एमसीएक्स पर सोने के भाव पिछले पांच दिनों में 401 रुपये प्रति 10 ग्राम घट गए। 29 मई को सोने का भाव 72,271 रुपये प्रति 10 ग्राम था, जो घटकर 5 जून को 71,870 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया। हालांकि, यह गिरावट चांदी की तुलना में कम रही।
सर्राफा बाज़ार में भी दामों में गिरावट (Decline in Prices in Bullion Market)
भारतीय सर्राफा बाज़ार में भी सोने और चांदी के दाम गिरे हैं। 5 जून को 999 शुद्धता वाले 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने की कीमत 71,897 रुपये थी, जबकि 999 शुद्धता वाली चांदी की कीमत 88,351 रुपये प्रति किलो थी। यह गिरावट चुनावी नतीजों के बाद आई स्थिरता और विदेशी निवेशकों की प्रतिक्रिया से जुड़ी मानी जा रही है।
कारण और प्रभाव (Reasons and Impact)
लोकसभा चुनावों के नतीजों में एनडीए गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने से देश में राजनीतिक स्थिरता आई है। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा है। इन कारणों से डॉलर के मुकाबले रुपये में मज़बूती आई है, जिससे कच्चे माल की आयात लागत कम हुई है। इससे सोने और चांदी के भावों पर दबाव पड़ा है।
यह गिरावट भारत के लिए उपभोक्ताओं के हित में है, क्योंकि सोना और चांदी आभूषणों का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। हालांकि, व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए इसका प्रभाव सीमित रहेगा, क्योंकि भारत में सोने और चांदी के उत्पादन का अंश बहुत कम है।
सोने और चांदी के भावों में यह गिरावट आगामी दिनों में भी जारी रह सकती है, क्योंकि विदेशी निवेशक भारत की सरकार को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रहे हैं। लेकिन भविष्य में कच्चे तेल की कीमतों और डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति से भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। निवेशकों और उपभोक्ताओं को बाजार की स्थिति पर नजर रखनी होगी।