New Pension Update: केंद्र सरकार द्वारा पेंशनभोगियों के लिए जारी किए गए एक आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया है। यह आदेश वेतन आयोग की सिफारिशों और पेंशन संशोधन के कारण बढ़ी पेंशन का लाभ केवल नए पेंशनभोगियों को देने का प्रावधान करता था। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि यह लाभ पुराने और नए सभी पेंशनभोगियों को मिलना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
इस मामले की जड़ें सुप्रीम कोर्ट के 9 सितंबर 2008 के एक फैसले में निहित हैं। इस फैसले में कहा गया था कि एक ही रैंक से रिटायर्ड पेंशनभोगियों की पेंशन समान होनी चाहिए, चाहे वे रक्षा बल से हों या सिविल सेवा से। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वेतन आयोग की सिफारिशों या पेंशन संशोधन के कारण जो भी पेंशन में बढ़ोतरी होती है, वह लाभ पहले से ही रिटायर हुए पेंशनभोगियों को भी मिलना चाहिए।
केंद्र सरकार का विवादित आदेश
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, सिविल केंद्रीय पेंशनभोगियों ने भी अपनी पेंशन संशोधन के लिए आवेदन किए। इसके बाद, केंद्र सरकार ने 18 नवंबर 2009 को एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केवल रक्षा बल के पेंशनभोगियों पर लागू होगा, न कि सिविल केंद्रीय पेंशनभोगियों पर।
पेंशनभोगियों की प्रतिक्रिया और दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय
केंद्र सरकार के इस आदेश से सिविल पेंशनभोगी नाराज हो गए और उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। लंबी सुनवाई के बाद, दिल्ली हाईकोर्ट ने 20 मार्च 2024 को अपना फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के 18 नवंबर 2009 के आदेश को अवैध करार दिया और कहा कि पेंशन संशोधन का लाभ न केवल रक्षा बल के पेंशनभोगियों को, बल्कि सिविल केंद्रीय पेंशनभोगियों को भी दिया जाना चाहिए।
भारत पेंशनभोगी समाज की मांग
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद, भारत पेंशनभोगी समाज ने केंद्र सरकार से मांग की है कि 1 जनवरी 2006 से पहले रिटायर हुए सभी पेंशनभोगियों की पेंशन को उस स्तर तक बढ़ाया जाए, जिस पर उन्हें 1 जनवरी 2006 के बाद रिटायर हुए पेंशनभोगियों के बराबर लाया जा सके। समाज ने कहा कि यह न केवल न्याय का मामला है, बल्कि राष्ट्र की सेवा करने वाले समर्पित पेंशनभोगियों के प्रति कानूनी दायित्वों की पूर्ति भी है।
निष्कर्ष दिल्ली हाईकोर्ट के इस महत्वपूर्ण फैसले से पेंशनभोगियों के अधिकारों की रक्षा होगी और सभी पेंशनभोगियों को समान पेंशन का लाभ मिलेगा। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार इस फैसले का पालन कैसे करती है और पेंशनभोगियों की मांगों को कितनी जल्दी पूरा करती है।