कर्मचारियों को मिलेगा पुरानी पेंशन का पूरा पैसा, यहाँ देखें पूरी जानकारी Old Pension Scheme

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Old Pension Scheme: आज के समय में लगातार सरकारी कर्मचारियों की तरफ से पुरानी पेंशन योजना (ओल्ड पेंशन स्कीम) को वापस लागू करने की मांग की जा रही है। इस मांग को देखते हुए कुछ राज्य सरकारों ने अपने यहां ओपीएस को लागू भी कर दिया है।

हालिया घटनाक्रम में कर्नाटक सरकार भी शामिल हो गई है जिसने अपने यहां शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा की है। यह घोषणा कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा की तरफ से की गई है। चलिए इस विषय पर गहराई से विचार करते हैं।

ओल्ड पेंशन स्कीम क्या है?

पुरानी पेंशन योजना का मतलब यह है कि सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद उनके वेतन का एक निश्चित हिस्सा पेंशन के तौर पर मिलता है। यह पेंशन कर्मचारी की सेवाकाल और आखिरी वेतन पर निर्भर करती है।

वर्तमान में नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू है जिसमें सरकार और कर्मचारी दोनों द्वारा निश्चित योगदान दिया जाता है और रिटायरमेंट के बाद इस निधि से ही कर्मचारी को आय मिलती है।

कर्नाटक सरकार की घोषणा

कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने घोषणा की है कि राज्य सरकार शिक्षकों और सरकारी विद्यालयों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करेगी। इसके अलावा राज्य में 500 नए सरकारी स्कूल भी खोले जाएंगे और वर्तमान में जो रिक्तियां हैं उनके लिए 12,000 शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी।

ओपीएस के लाभ (ops)

पुरानी पेंशन योजना के कई लाभ हैं। इसमें सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद स्थिर आय मिलती है जो उनकी आखिरी तनख्वाह पर आधारित होती है।

इस योजना में कर्मचारियों को बीमा लाभ भी मिलते हैं और महंगाई के खिलाफ भी सुरक्षा मिलती है क्योंकि पेंशन की राशि समय-समय पर संशोधित की जाती है।

विरोध और चिंताएं हालांकि ओल्ड पेंशन स्कीम को वापस लागू करने का विचार सरकारी कर्मचारियों के लिए लाभकारी है लेकिन इसके खर्च की चिंता भी है। पेंशन के बढ़ते बोझ के कारण सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव पड़ेगा। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एनपीएस ज्यादा लाभकारी और टिकाऊ है।

पुरानी पेंशन योजना को वापस लाने की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और कर्नाटक जैसे कुछ राज्य इसे लागू कर रहे हैं। हालांकि इसके लाभ और नुकसान दोनों हैं लेकिन सरकारी कर्मचारियों की इच्छा को देखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है। आने वाले समय में और भी राज्यों द्वारा इस ओर कदम उठाए जा सकते हैं।

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